होली : श्री नोंथोमबम गुणचन्द्र सिंह
सबके दिलों में खुशियाँ छायी
आयी रे होली आयी !
आयी रे होली आयी !
बरस के बाद आयी होली
जी भर कर खेलेंगे
इम्फाल की होली देख कर
आश्चर्यचकित रह जायेंगे।
डालेंगे गुलाल एक दूसरे पर,
रंग-बिरंगे गुलाल से
कटुता का भाव मिटायेंगे
प्रेम के बीज बोयेंगे,
दिलों में एक दूसरे के ।
युवक-युवतियों का थाबलचोङबा1
देख
ऐसा लगता मानो झूम झूमकर
स्वयं श्रीकृष्ण नाच रहे हो
गोपियों के संग लीला करते।
माताओं द्वारा टोली बनाकर
गली,
मुहल्ले,घर-घर
जाकर
हरि-संगीत प्रथा मणिपुर की
मानों चली भक्ति की लहर।
चारों तरफ आनंद और सुख
मिट गए सबके दुख
सब मनाते हैं एक साथ होली
असत्य पर सत्य की बोली।
घृणा,
लालच,
अधर्म
के कीचड़ में
प्रेम और धर्म के खिलेंगे फूल।
हर तरफ फूल ही फूल।
सत्य,
अहिंसा,
प्रेम, धर्म
के।
आयी रे होली आयी ! आयी रे होली आयी !
शब्दार्थ:
1 थाबलचोङबा – मणिपुर में होली
के अवसर पर सम्पन्न एक प्रकार का नृत्य।
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संपर्क-सूत्र:
सहायक अध्यापक, हिंदी
सैनिक स्कूल इम्फाल,
मणिपुर
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