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आयी रे होली आयी ! आयी रे होली आयी! सबके दिलों में खुशियाँ छायी आयी रे होली आयी ! आयी रे होली आयी ! बरस के बाद आयी होली जी भर कर ...पूरा पढ़े
दारदई रम : ताङखुल लोक गीत
स्त्रोत :शङनु निङशेन, आयु - ६३ स्थान-नम्बासी, संकलन तथा अनुवाद : लोङजम रेस्तिना देवी (प्रस्तुत लोकगीत मणिपुर के पर्वतीय क्षेत्र में स्थि...पूरा पढ़े
दारदई रम : ताङखुल लोक गीत
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दिसंबर 28, 2022
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हेन्जुनहा : लाइश्रम शुशांत
बहुत समय पहले मोइराङ में तेलहैबा नामक राजा शासन करता था। उनके मंत्रियों में याङलैङम्बा नामक एक व्यक्ति था , जो राजा को अत्यंत प्रिय था। उ...पूरा पढ़े
हेन्जुनहा : लाइश्रम शुशांत
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दिसंबर 28, 2022
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बूढ़ा-बूढ़ी, कौवा और साँप की कहानी संकलन : डॉ॰ संजीव मण्डल
पुराने समय की बात है । एक गाँव में एक वृद्ध दम्पत्ति रहता था । उनकी कोई संतान नहीं थी। बूढ़ा-बूढ़ी दोनों बहुत सहृदय थे। वे कभी किसी से ईर्ष्य...पूरा पढ़े
बूढ़ा-बूढ़ी, कौवा और साँप की कहानी संकलन : डॉ॰ संजीव मण्डल
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दिसंबर 28, 2022
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चिट्ठी वाला चिड़ा : खुन्द्राकपम ब्रजचान्द
अनुवाद : थोकचोम मोनिका देवी मणिपुरी साहित्य के प्रख्यात नाटककार खुन्द्राकपम ब्रजचान्द का जन्म सन् 1952 में इम्फाल के थाडमैबन्द नामक स्थान म...पूरा पढ़े
चिट्ठी वाला चिड़ा : खुन्द्राकपम ब्रजचान्द
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दिसंबर 28, 2022
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