कविता_मैं- मोनिका
बताया गया था मनुष्य बना है बन्दर से
लेकिन आज मिले मुझे बने लोमड़ी से
क्यों नहीं था हमारा पहला पाठ ??
“मनुष्य है जानवर सबसे खतरनाक !”
माँ के ही गर्भ से जन्मने वाले
कहते हैं मैं “दूसरी लिंग” हूँ
कहते हैं मेरा संस्कार, सादगी ही
हैं मेरे आभूषण !
सजाया मुझे सर से पैर तक सफ़ेद रंग से
पैदा होते ही बंधनों के धागों से
समाज ने एक एक कर
बनाया मेरा वस्त्र ।
क्यों नहीं बताया कि
मैं भी हूँ उस लोमड़ी वर्ग से ??
क्यों नहीं सिखाया कि
जिस नाख़ून से मुझे खरोंचा है
वैसे नाख़ून मेरे भी हैं।
मुझे पसंद है काला रंग जिसे कोई भी मैला न कर पाए
मुझे पसंद है अंगारे सा लाल रंग का कमरबंध |
मुझ पर लगे मैल मेरे अपने नहीं है ??
मुझे शिकार बनाने वाले उन लोमड़ियों के हैं |
फिर क्यों हँसते हैं लोग मुझ पर ठहाका मार
दादी ने रसोई के हिसाब की जगह अगर
थबातोन को भी भाईयों की तरह सिखाया होता
तलवार उठाना तो
क्या उसे पकड़ पाता कैबू कैओईबा ??
मैं भी उड़ना चाहती हूँ लाङमैदोङ पक्षी के संग
स्वतंत्र खुले आकाश में
नहीं चाहती बिखरना इङेलइ फूल की तरह
हो लाङमैदोङ मेरे लिए अपने पंख गिरा जाना
चारों ओर कैबू कैओइबा ने घेर लिया है
मुझे भी अपने संग ले जाना ........
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