दरवाज़ा बंद करते जाना........धड़ाक.... ! : रोजी कामै
दरवाज़ा बंद करते जाना........धड़ाक.... !
शांति है यहाँ अब ....... बिल्कुल
असमय चले गए ...... जल्दी थी !
ठहर कर जाते
...... पता तो लगता तुम्हें,
तुम्हारी महक से दमकता है मेरा कमरा ।
देखो, तुम्हारी चाय की प्याली !
सजाए है मेरे होठों की नरमाहट
तुम्हारे होठों की तपस
मेरे ह्रदय में सुलगती जाती है ।
अगली बार आ रहे हो न ?
ठंड लगती है मुझे
थोड़ी गर्माहट लाना -
कमबख्त कमरे में सीलन है ।
अच्छा सुनो !
अब की बार आए हो तो
लेते जाओ अपना भूला – बिसरा
सब कुछ... हाँ सब
कुछ ....
अब कुछ न रहे - न मेरा तुझमें, न तेरा मुझमें !!
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Tumhi tum ho to kya hea , Hamhi ham hea to kya hea ? Jeevan tum aur hum ka sangam hea .
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