यादें : भीमसेन
लफ़्ज़ों में रह गई जो
करूँ उसे बयान दिल से
तुम जो दूर मुझसे
और मैं हूँ उलझा तुममें
एक अहसास था अपनेपन का
अब बेचैन हूं अकेलेपन से
गुरूर था जो अब मायूसी है
हौंसला देती है तेरी यादें
पर डरता हूँ कि अब
यादें भी न धुंधला जाए
यादें केवल यादों में न रह जाए
चलो बुने कुछ और यादें।
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Chalo phir se suru karate hea . Ek savera phir naya phera jeevan ka .
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