‘लोकताक ङानै इशै’ , ‘मणिपुरी लोकगीत’ (लौरेम्बम बेदपति के खुनूङ इशै से अनूदित): लाइश्रम शुशांत
लोकताक मणिपुर का ऐसा सुप्रसिद्ध झील है, जिसका संबंध मणिपुर के समाज-सांस्कृतिक जीवन तथा आर्थिक स्थितियों से विशेष रूप से है। प्राचीन काल से लोकताक मणिपुरी जीवन का आधार रहा है। प्रस्तुत मणिपुरी लोकगीत लोकताक झील में मछली पकड़ते समय गाया जाता है | इसका संबंध प्रसिद्ध मिथकीय पात्र खम्ब-थोइबी से भी माना जाता है। यह वह स्थान है, जहाँ खम्ब और थोइबी का प्रेम प्रस्फुटित हुआ था। प्रस्तुत गीत का मूल भाव प्रेम है, जो खम्ब-थोइबी की लोककथा पर आधारित है। जहाँ थोइबी पहली बार खम्बा से लोकताक में नौकाविहार करते हुए मिलती है |
गीत की पंक्तियाँ इस प्रकार है -
वाचक : इनुङ सोरा तैरकले | लोकताक हारम ङालक्ले |
सोरा चीङदोल कोकतगी | कोरौ मङाल फावरक्ले |
खोङनू कोनू अनीमक | हंगेल तईखम पुदुना |
लेमलै फागे शासीना वागई हीबू तोङदूना | लोकताक इयाई पाङलक्ले |
लाइज लोईरोई लाक्लेदा | नीङोल ओइबी अनीदो ननाइना थाबना मवात्ली|
नीङथीजैडा फजैडा नूरा चेङलौ शकहेन्बी |
लाईडा लोईरोई लाकपडो नीङोल ओइबी अनीना |
लोकताक इयाइ लमलान्दुना खयोल शोइबू यवरक्ले |
गीत का भावार्थ इस प्रकार है-
सूरज निकल रहा है | लोकताक का जल सतह प्रकाश से धीरे धीरे
आच्छादित हो रहा है | पर्वत शिखर से सूरज की किरणें निकल रही हैं | खोङनू और कोनू अपना अपना मछली का जाला
लिए नाव पर बैठकर लोकताक की ओर जा रही हैं| दोनों अत्यंत सुन्दर हैं | उनकी सुन्दरता के बारे में जो कहो कम है | दोनों धीरे धीरे नाव पर सवार हो
लोकताक के बीच पहुंचती हैं |
(दो सखियों के बीच वार्ता)
पहली सखी : कोनू कोनू नङबू अचान्बी |
दूसरी सखी : खोइनौ
पहली सखी : ङराङ खोमलेन मङलानदा लोकताक
पातयाइसीदा तम्बा ओइबा अमागा नुङशी चीङगोइनरमीदो इता |
दूसरी सखी : हेरा इता खोमलेन मङलानगी वाबू
वातचन्बा हौन्ब्राने |
पहली सखी : हैमा इता |
दूसरी सखी : कैदौरगे इता |
पहली सखी : हङगेन तैखाङ तत्खरे | अइडी सम्बाशु हैते |
दूसरी सखी : अइसु हैते कमाई तौनी |
पहली सखी : इता आदा खाम्बी मैखू हौरीबसे कनाबू लेइबनो कौदूना येङसिरो |
दूसरी सखी : हो इता लोकताक पातयाइशिदा ननीङ तौजरो |
उपर्युक्त पंक्तियों का अर्थ इस
प्रकार
पहली सखी : कोनू कोनू सुन तो
दूसरी सखी : हाँ सखी
पहली सखी : कल सपने में मैं इस लोकताक के बीच
किसी के साथ प्रेम की बातें कर रही थी, सखी |
दूसरी सखी : तुम भी न सखी, सपने की बातें क्या हकीकत होती हैं |
पहली सखी : अरे यह क्या सखी |
दूसरी सखी : क्या हुआ सखी
पहली सखी : मेरा यह मछली का जाल तो टूट गया अब
क्या करें ? मुझे ठीक करना भी नहीं आता |
दूसरी सखी : मुझे भी नहीं आता | क्या करें ?
पहली सखी : सखी वो देख वहाँ धुआँ उठ रहा है | बुलाकर देखें क्या ?
दूसरी सखी : इस लोकताक के बीच जो करना चाहो करो |
इस वर्तालाप के बाद दोनों सखियाँ मदद के लिए गुहार लगाती हैं।
पहली सखी : (गीत )
हा तम्बा कना लैबगे | इबूङो हो इबूङो तम्बा कनानो चीङगोइ पोखुम पीबीरकओ | नीङोल ओइबी ऐहाक्की हङगेल लैखाङ तटखरे
| नीङोलनदी सम्बशू हैजदे | नीङोलगी हङगेल लैखाङ अमुक्ताबू सम्बियुने
हो...............हो......... कनानो |
दूसरी सखी : कनासु लैत्रबा लोकताक पातयाइशिडा कनाना खूमलकदगे इता |
इन पंक्तियों का
भावार्थ है-
क्या कोई है ? अगर कोई है तो उत्तर दीजिए | मेरे मछली के जाल का हङगेन तैखाङ (बाँस को चीरकर बनाया गया जाल को चौकोर फंसाने वाला डण्डा ) टूट गया
है | हमें ठीक करना भी नहीं आता | आप कृपया हमारा यह जाल ठीक कर दीजिए | क्या कोई है ? इस पर दूसरी सखी कहती है, इस लोकताक के बीचोंबीच तुम्हें कौन सुनेगा और कौन जवाब देगा |
पहली सखी : (गीत)
खोयोल कवबी माशोइबू | फूमशङ खाङपोकजू यूमदोमपोक | खम्बी मैखू खूरीबा | खूयोल मैखू खुरीबा | खुयोल मशोई फूमशिडा | नामु कनाबू लैत्रबदी लैतरे | लैना लैना लैताशा
, ताना तानाबू तादशा | लैबा मक्त्बू ओइराबडी नीङोल हात्प
शक्पियू | नूङाइबा सरुक फङलनु फङलनु कनानो |
दृश्टव्य है कि लोकताक झील पर छोटे द्वीप की तरह तैरती हुई घास-फूस की जमीन बन जाया करती है,इसे फुम या फुमदी कहा जाता है। इसीपर मछुआरे झोंपड़ी तक बनाकर रहते हैं। गीत की पंक्तियों में इसी फुम का वर्णन है। इस फुम पर अकेली यह झोपड़ी | घर से धुआँ भी निकल रहा है | अगर कोई नहीं है तो ठीक है | लेकिन होकर भी छुपे रहे , सुनकर भी अनसुना करे | अगर वाकई तुम छुपे हुए हो तो मुझे मारने का पाप लगे | आप कभी खुश न हो सकोगे |
पुरुष : हा नूरा इबेम्मा | नुजा करिबू पुक्चेलनो | नूरा नापावबू तादबा नटतेने पाखङना | नूरा नतेङ मक्तबू पाङनिङडबा नटतेडो
ऐहाकना | लम्जा लाइबक थीबडी येक्न्बाना लाङगोइ चन | केगे मीरकपू तीन ङमदा लोत्लिबा ऐहाकनी
| नूरा इबेम्मा पाङल लानाबू वाङबना | नोङमडोल कैराक थादुना | हेक ङमडबी लैगुम्बी | तम्बा ओइबा ऐहाक्ती | लाईरा अडोल तम्बना पलेम पन्थौ अनीना || समाना मता फबशिदा | लम्जाओदा येतलीङ थाबगुम थम्बिरक्पा
लमजा मचानी | सेत्नबा चरइ मतिक चाददना नुरागी माङदबू लेपङमदे पामुबी | पाखङबू वारवबिनु पाखङबू लान्ना
लवबिनुको मिगी मचा पामूबी |
हो प्रिय | कैसा है आप का यह मन | ऐसा नहीं है कि मैं आपकी बात नहीं सुन
रहा | ऐसा भी नहीं है कि मैं आपकी मदद नहीं करना चाहता | मैं तो अभागा अनाथ हूँ जिसे चारो ओर से शत्रुओं ने
घेर लिया है | मैं लोगों के बीच नहीं जा सकता हूँ इसलिए यहाँ छुपा हुआ हूँ | तुम्हें प्रेम करना मेरी शक्ति के
बाहर है | आकाश में सीढ़ी लगाकर भी न पा सकने वाला फूल हो तुम | मुझे तो मेरे माता पिता छोड़ गए हैं | पहनने को ठीक कपड़े न होने के कारण मैं
आपके सामने खड़ा नहीं हो पा रहा हूँ | आप मुझे गलत न समझें |
पहली सखी : इता खोइनू अचान्बी हुजिक चीङगोइखीबदो चरई लैते असी नत्रा | से इता चरइसे पायुसे |
प्रिय सखी क्या कहा उसने, उसके पास कपड़े नहीं हैं | यह लो पकड़ो यह कपड़ा |
(वह अपने कमर का कपड़ा देती है )
इबुधोऊ थाङजिङ कोइरेल लाई | नशु नतेंग मक्तबू पाङबीयू | लाईनीङथौ पाखङ माना फङबा लम नीङोलगी चरइ लवखाङसे थादबियुको लाईनीङथौ |
हे थाङजिङ ईश्वर | मेरी मदद कीजिएगा | हे देवताओं के राजा उस युवक के पास
मेरा यह कपड़ा पहुँचा देना |
वाचक : नुरागी चरइ सेटतुना खूयोल मादी
थोराक्ले | नीङोल माङदबू लेपलरे| पाखङदी शकहेन्बी नूरा कोनू इबेम्मा तम्बा चीङनदा येङलदना | मङलानगी मांजबू येङलदुना | यावा मतबू मपाओ हङलक्ले | यावा मपाव हङजरक्ले |
उस युवती का दिया कपड़ा पहनकर युवक
बाहर आता है | युवती के सामने खड़ा होता है| अपने सपनों के प्रिय को देखकर दोनों एक दूसरे से बातें करते हैं |
पहली सखी : नीङोल माङदा लेप्लीबा | शकखङदबा इबूङो | थम्बाल कनागी वाखलदा | हैकक येन्सम चादुना, खोङबान चामलोऊना मथेल ओई | थम्बाल कनागी वाखलनो | वाखलनो इबूङो |
मेरे सामने खड़े हे सुन्दर युवक | आप किसके विचारों में खोकर यहाँ इस
दुखद स्थिति में रह रहे हैं | किस के विचारों में |
पुरुष : नूरा थम्बाल मानबी ओ | पाङल लानबा वाबना | नोङमदोल कैराक थादना | हेक्फमदाडी लैगुमगे | हयेङ वाङगइ अमादा | फजना फिगइ सेमजगे | वारवबिनु पाखङबू ऐहाकपु वारवबिनू |
हो कमल सी सुन्दर
प्रिये | आप मेरी शक्ति से बाहर हैं | आप आकाश जैसी ऊँचाई पर हैं | कल जब मैं सक्षम हो जाऊँगा तब मैं आपका हाथ माँग लूँगा | आप मुझसे गुस्सा न हो |
पहली सखी : मीतयेङसे येङूने इता |
उसकी नजरों को तो
देखो सखी |
मरीङगी तेनदी नयात्पी | थौनागी तेनदी हू पूबा | यारवना सङाइ मङोन्दा थागदबा तेनदूना | नूरागी थमोई लकादा तेनना थुमना पालरे| तेनजिन सतके सत ङमदा | करम्नाबू खाङसीगे | हो अचान्बी हो अचान्बी |
मरीङ (जनजाति
विशेष) का तीर खतरनाक होता है | आपका तीर जहर से भरा है| जो तीर सङाइ को लगने वाला था | वह तीर आपने मेरे दिल पर मार दिया है| तीर को मैं न निकल पा रही हूँ | मैं यह दर्द कैसे सहूँ | हो सखी, हो सखी |
दूसरी सखी : लोकताक इयाइडा चकताबा खोइमूगी मपाव नत्तना | तेनगी हूबू कोकलरोई |
लोकताक के बीच रहने
वाले भँवरे की जब तक कोई खबर नहीं आती तब तक तुम्हारे मन का दर्द कम नहीं होगा
“फौङाक इशै”
यह लोकगीत खेत में धान के पकने पर जब चिड़िया चुगने आती है तब उसे
भगाने के लिए गया जाता है | यह एक प्रकार का कृषि गीत हैं | इसका मूलभाव भी प्रेम है |
स्त्री : हो उरित नापङबी...नमाना कवी तादबी | नापाना कवी खुमदबी | हो या हो यया या हो
यया...............
हो उरित
चिड़िया...तुम अपनी माँ की बात नहीं सुनती हो | अपने पिता की बात भी नहीं मानती हो | हो या हो या यया या..............
पुरुष : हा चीङसु खुनु लमलैमा | लमगी खुनुसू थारिकपी नङबू | चेक्ला नङना पाखङ लाइबक चावबा अइबू चीङना येङलेरगा चेक्ला नङना
कुरुकु हाइना मक्त्बू खोङबडी | नपाङ काइनबगी खोङब्रने चेक्ला | चेक्ला नङगी यावा खोन्जेल तारगा | पाखङ लाइबक चावबा अइगी थमोइ पूङमदेने
पोम्बी | चेक्ला नङबू खोङलनु चेक्ला |
हो चिड़िया जो तुम
मुझे देखकर सदा कुरुकु करती हो | क्या तुम्हारा कोई प्रिय बिछड़ गया है | हे चिड़िया तुम्हारी आवाज सुनकर मेरा मन दुखी हो जाता है | हे चिड़िया इस तरह आवाज मत लगाया करो |
स्त्री : हा चेक्ला कनानो कनानो | इतारोइ चीङसु खोङजोम्बी | आ तमगी खुनु मइपोम्बिना | चेक्लाना कवी पोनपोन | पोम्बिना ङकचै | चेक्लाना सिंगी पामेल थेङल्लक्ताबू
तोङलदुना क्रूक्रू खोङबडी हा | चेक्ला शकखङडबा कनागी | मपाव खोनबू पुरक्पनो | अदू नत्तरे हाइरगा चेक्ला नरोलगी पाओखोङ मक्तबू ओइराबदी | खोङलनु काइना मैचाक हेन्हलागनु चेक्ला
ओ |
हो चिड़िया तुम कौन
हो ? क्या तुम पहाड़ से आई हो या घाटी से | जो तुम उस पेड़ के ऊपर क्रुकू कर रही हो | किस अनजान का संदेश लाई हो | अगर कोई संदेश नहीं है तो अपनी आवाজ से मेरे दुःखी मन को और मत सताओ |
पुरुष : हा हा इबेम्मा थम्बाल मक्त्बू मानबी नङबू | पन्थौगी पामेल पाबल थकता खरी लौफम
ङाक्लीबी नुजा नङबू कनानो | लोईमोम फौना खोइङाङ सना सातलक्पा मतमदा | खङनबना कोलुरे |नूङसिबना हालुरे | मपु पान्ख्रबी लैराङरा | मपु पन्द्रिबा लैराङरा | नीङोल नापाव सेङनबू तम्मुने |
हो युवती, कमल सी युवती | अपने पिता के खेत की रखवाली करने वाली, तुम कौन हो | जब धान के सोने जैसा पकने का समय आया
है, तब तुम्हारे बारे में कुछ जानने से पहले ही मैंने दिल दे दिया है | क्या तुम কুঁकुँआरी हो | यह बात मुझे ठीक से बता दो |
स्त्री : इबूङो मिगी मचा शकखङदबा नङबू | ङसी कोरौ नुमित्ता सकखङदबा नङगी नापाव
ताबदी | नीङोल पाइमा पुकनीङसे तिनगी गम यांगोल्ले | नीङोल लाइबक चाओबिदी पलेम पन्थौगी
माशाइगोल इनीङ तमनाबू लइजरीबी नीङोलनी | लइराङगी लैखोङ सङबा कना लैजदे को पामुबा नङबू | हाइनीङबदा हाइयू | तम्नीङ बदा तम्बियु हो इबूङो |
हो युवक मैं आपको
नहीं जानती | आज आपकी बातें सुनकर मेरे मन में हलचल हो रही है | मैं अभी अपने माता पिता के पास मनचाहा
करती हूँ | मेरा कोई प्रेमी नहीं है | आप जो कहना चाहते हैं कहिए |
पुरुष : हा चीनबानदना खोही तइ थामोइदना हू फुमदुना पाखङगी थमोइ फाबीरीबी नुजा
करी पुकचेलनो |
मुँह में शहद है और
मन जहर से भरा है |आपने ऐसे मेरा मन चुरा लिया है | यह आपका कैसा मन है |
स्त्री : मित्सना लैकाइ कोइगनबा नङबू | लैराङ खूदीङ लमदन्बा नङबू | नङबू येत्लांग कीहोमगुम मीत याम्बा
इबूङो |
आपकी आँखें हमेशा
गली गली घूमती हैं | आप हर फूल पर मण्डराते हैं | आप अनानास की तरह हजार आँखें वाले हैं |
प्रत्येक समाज में
जिस तरह श्रम करते हुए गीत गाए जाने की परंपरा है, ठीक उसी तरह मणिपुरी समाज में भी लोक गीत की एक लंबी परम्परा चली आ
रही है। उन्हीं में से कुछ गीतों को यहाँ प्रस्तुत किया गया है।
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