मणिपुरी कहावतों में स्त्री का स्वरूप
Reviewed by व्यवस्थापक
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दिसंबर 20, 2020
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आज का युग विज्ञान और तकनीक का युग है। एक समय था, जब विज्ञान के चमत्कारपूर्ण आविष्कारों से लोग अचंभित हुआ करते थे, लेकिन आज हमारा जीवन विज्ञान द्वारा आविष्कृत साधनों के बिना संभव नहीं लगता। तकनीकी विकास का प्रभाव मानव पर इतना गहरा पड़ चुका है कि वैज्ञानिक संसाधन जीवन का पर्याय बन गए हैं। देखा जाए तो मानव की जिज्ञासा का परिणाम है विज्ञान और विज्ञान के अमूल्य योगदान ने मानव के विकास की दशा और दिशा दोनों को प्रभावित किया है।
प्राचीन काल से ही मनुष्य प्रकृति से संघर्ष करते हुए उसे समझने का प्रयास करता आया है और लगातार अपने जीवन को सरल, सुरक्षित और बेहतर बनाने के प्रयास में लगा रहा है। इस प्रक्रिया में मानव के सामने अनेक सवाल आते रहे, अनेक चुनौतियाँ आती रहीं। इसी प्रश्नाकूलता और चुनौतियों से प्रेरित होकर मानव उत्तर की खोज करता रहा, इसी प्रयास के परिणामस्वरूप विज्ञान का जन्म हुआ। अग्नि तथा कालांतर में पहिए की क्रांतिकारी खोज से लेकर आज के कृत्रिम बुद्धिमत्ता या कृत्रिम मेधा (AI) और अंतरिक्ष यानों तक का सफर, विज्ञान की ही देन है। चिकित्सा, संचार, परिवहन, कृषि, शिक्षा अब ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा जिसमें विज्ञान ने क्रांति न ला दी हो।
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‘ कङ्ला ’ साहित्यिक, सांस्कृतिक तथा शोधपरक ई-पत्रिका है, जिसमें उत्तर पूर्व के आठों राज्यों – असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड, त्रिपुरा और सिक्किम की साहित्यिक रचनाओं तथा सांस्कृतिक गतिविधियों को अभिव्यक्ति देने के साथ-साथ इन पर किए गए शोध कार्यों को केन्द्र में रखता है। उत्तर पूर्व के राज्यों से संबंधित तथ्यात्मक सामग्री उपलब्ध कराना इसका उद्देश्य है।
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डॉ. एलाङ्बम विजय लक्ष्मी
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Badhai ho.
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